Thursday, January 11, 2018

देश दर्शन यात्रा भाग-2 desh darshan journey

कलाम सर से अविस्मरणीय मुलाकात !

आगरा से चल कर हमारा काफिला आज दिल्ली पहुँच गया, जवाहर नगर नाम था शायद जहाँ के विद्या मंदिर में अपना ठिकाना बनाया गया था। अगले दिन हमें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. apj अब्दुल कलाम जी से मिलना था, तो आज का प्रोग्राम कुछ ऐतिहासिक स्थल दर्शन से होना निश्चित किया गया।सभी तैयार होकर बस में बैठ गये और बस चल पड़ी लालकिला और कुतुबमिनार की ओर।
▪लालकिला- लालकिला पहुँच कर हमने लाहौर गेट से प्रवेश किया, कुछ दुकाने थी सजावटी समानों की जहाँ से मैंने एक लकड़ी की कलम खरीद ली। आगे हमने दरबार-ए-आम और दरबार-ए-खास देखा,तख्ते-ताउस का स्थान देखा। फिर हमने लालकिला का म्युजियम देखा और बाहर आकर गुरूद्वारा शीशगंज और जामा मस्जिद भी देखा गया।फिर हम कुतुबमिनार की ओर चल पड़े।

Wednesday, September 27, 2017

देश दर्शन यात्रा 2007 भाग 1 desh darshan journey

#एक_घुम्मकण_की_जन्मकथा #भाग_1




पुर्वी उत्तर प्रदेश के एक जनपद बलिया के सरस्वती विद्या मंदिर में अक्टूबर 2007 सुबह की प्रार्थना सभा में घोषणा होती है कि तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी का देशभर के बच्चों से मिलने के क्रम में अपने विद्यालय को भी स्थान मिला है, साथ ही विद्यालय एक देश-दर्शन यात्रा भी आयोजित करना चाहता है जिसमें कई राज्यों के दर्शनीय स्थलों की यात्रा 22-25 दिनों में पुरी होनी है। खैर एक सामान्य ज्ञान परीक्षा के माध्यम से चयन होता है और दसवीं के एक 15 वर्षीय छात्र यानी मेरा भी चयन हुआ। बोर्ड के परीक्षा और लंबे सफर को लेकर मेरे माता-पिता भी चिंतित थे पर आखिर मेरे अतुल्य जिद और जनुन के आगे हार मान कर उन्हे आज्ञा देनी ही पड़ी। यात्रा शुल्क 5000रू था और पाॅकेट मे अधिकतम 500रू रखने की इजाजत, हमें एक यात्रा लिस्ट के अनुसार पैकिंग करनी थी जो विद्यालय द्वारा दी गयी थी। यात्रा क्रम में हमारा ठिकाना होना था, देश भर में फैले हुए हमारे विद्यालय संस्था के शिशु/विद्या मंदिर। निर्धारित यात्रा का दिन आया और सभी ने विद्यालय परिसर से हमें बस द्वारा विदा किया, पुरी यात्रा दो स्लीपर बसों से ही पुरी होनी थी, तो सारा राशन और सामान लोड कर दिया गया था, हमारे साथ जा रहे थे हमारे प्रधानाचार्य,8 शिक्षक, चार कर्मचारी  और रसोइये।

काठमांडू यात्रा भाग 1 kathmandu journey

#नेपाल_यात्रा #भाग_1


सैर कर दुनिया की गालिब, जिंदगानी फिर कहाँ!
जिंदगानी गर रही तो, नौजवानी फिर कहाँ!!
गालिब चच्चा की बात मानते हुए मैंने भी कुछ दोस्तों को मान मनौव्वल के बाद इकट्ठा कर झुण्ड का निर्माण किया और सर्व सम्मति से झुण्ड संचालक का पद भी ग्रहण कर लिया, क्योंकि इससे पहले हिमालय पर जाने वाला बस मैं इकलौता था। भारत की परिधि से बाहर जाकर हिमालय को निहारना और देश से बाहर भी अपनी संस्कृति की जड़ो को देखना हमेशा से ही मेरा सपना रहा है।

काठमांडू यात्रा भाग 2 kathmandu journey

#नेपाल_यात्रा #भाग_2
अगली सुबह उठते ही, नेपाली अखबारों को खंगाला बड़े ही मजेदार लगे। फिर सभी तैयार होकर पशुपतिनाथ के दर्शन करने चले, कुछ खास भीड़ भाड नही थी। मंदिर के अंदर बने खजुराहो की तरह की मुद्राऐ जो कि लकड़ी पर उकेरी गई थी आकर्षक थी पर फोटो की अनुमति नही। बागमती नदी के किनारे बसा यह नेपाल का सबसे प्राचीन मंदिर है। मंदिर का स्वरुप पारंपरिक नेपाली पैगोडा शैली का ही बना हुआ लगता है, लकड़ी, ताम्बे और सोने-चांदी जैसी धातुओं का प्रयोग किया गया है। फ़ोटो लेना तो मना था फिर भी मुख्य द्वार का ले लिया, सुबह सुबह भीड़ भी ज्यादा न थी। अप्रैल 2015 के भूकंप में यह मंदिर सुरक्षित बच गया था।

इसके बाद एक और है बौद्धनाथ स्तूप। यह नेपाल के सबसे बड़े स्तूपों में से एक है। कहा जाता है की गौतम बुद्ध की मृत्यु के तुरंत बाद ही इसका निर्माण किया गया था और इसकी स्थापत्य कला में तिब्बत की भी कुछ झलक मिलती है। यह काठमांडू के सबसे बड़े पर्यटन केन्द्रों में से एक है। गोलाकार संरचना के चारो तरफ से लोग चक्कर लगाते हुए देखे जा सकते हैं, साथ ही अनेक बौद्ध-भिक्षुओं का भी दर्शन कर सकते हैं। अप्रैल 2015 के महाभुकंप से यह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ, जिससे इसके गुम्बद का उपरी हिस्सा टूट गया था , पर फिर से कुछ ही महीनों में गुम्बद की दुबारा मरम्मत की गयी। पशुपतिनाथ और बौद्धनाथ दोनों ही UNESCO द्वारा विश्व विरासत घोषित किये गए हैं। इसी तरह स्वयंभूनाथ भी प्रसिद्द स्तूप है, वैसे यहाँ और भी ढेर सारे बौद्ध और हिन्दू मंदिरों की लंबी फेहरिस्त है लेकिन सभी की बनावट करीब करीब एक जैसी ही है जिस कारण हमने वहाँ जाने की उतनी जिज्ञासा भी न हुई।

काठमांडू यात्रा भाग 3 kathmandu journey

#नेपाल_यात्रा #भाग_3


काठमांडू मे आज दुसरी रात बहुत शानदार रही और झुण्ड सभी लोगों ने अपने अपने तरीके से इंजाय किया। अगली सुबह सबको जगाने में परिश्रम करना पड़ा, कुछ लोग सुबह वाले सरदर्द के शिकार थे। खैर जल्दी से होटल के काॅप्लिमेंट्री नास्ते का आनंद उठा सभी तैयार थे। काठमांडू भ्रमण को।

आज काठमांडू भ्रमण पुरा कर लेने के इरादे से जल्दी- जल्दी सारे जगहों को कवर करने का निश्चय किया गया। जो इस प्रकार थे।
• #दरबार_स्कायर- प्राचीन स्थल, ढेर सारे लकड़ी के भवन(काष्ठ मंडप) जिनके कारण ही इस शहर का नाम काठमांडू पड़ा। सभी भवन आकर्षक थे खास कर 55 खिड़कीयो वाला घर, सभी मंडपो को धातु और नक्काशी से सुदंरतापुर्वक सजाया गया था।
• #नरायनहिती_पैलेस - पुराना राज निवास जहाँ 2008 में समस्त राचपरिवार का नरसंहार हुआ था, राजकुमार के हाथों ही फिर इस म्यूजियम बना दिया गया। राज परिवार आजकल हनुमार द्वारा मे रहता है।

काठमांडू यात्रा भाग 6 kathmandu journey

नेपाल यात्रा भाग 6 अंतिम दिन



पोखरा के सभी दर्शनीय स्थानों को देखने के बाद, जब वापस होटल जाने की बारी आयी तो एकदम से एक सन्नाटा सा पसर गया। सभी एक दुसरे को देख बस मुस्कुरा रहे थे, शायद इस इस जगह को छोड़ जाने का सबको दुःख था, पर बता कोई नही रहा। अचानक एक मित्र ने फिर आने की बात की और माहौल जीवंत हो उठा। होटल आए तो संचालक ने खाने के विषय में पुछा सबने अपनी पसंद बतायी, और मैंने अपना सबसे पसंदीदा तिब्बती डिश "थुकपा"या "थुप्पा" का नाम लिया, और जवाब मिला- मिल जाएगी। सभी ने हिराकत से मुझे देखा पर बस अपने को ऑक्सर मिल गया जैसे।

डिनर मजेदार रहा, कोई लोकल वाईन भी पेश की गयी।
सुबह तड़के ही भारत के लिए निकलना था, ताकि शहर से तुरंत बिना जाम के निकल सके।
सुबह का माहौल ही अलग था, सभी घर के नाम से चहक रहे थे जो कल उदास भी थे। कुछ प्रीकुक्ड खाने का समान, मिनरल वाटर रखने के बाद महादेव के जयकारे से यात्रा प्रारंभ हुई और थोड़े समय बाद शहर से निकल कर वापस पहाड़ो के बीच आ गये थे।

Monday, September 18, 2017

काठमांडू यात्रा भाग 4 kathmandu journey


#नेपाल_यात्रा #भाग_4


आज तीसरे दिन पुरा झुण्ड पोखरा जाने के लिए उत्साहित था, और जल्द से जल्द पोखरा पहुँचने के लिए सभी बेचैन थे। खैर काठमांडू के होटल को टाटा कर सुबह 5बजे ही हम पोखरा के लिए निकल पड़े। 200 km की यात्रा थी जो रम्य नदी-नालो ,झरनो और पहाड़ो से सजी हुई थी। थोड़ी दूर निकलते ही पुरा काठमांडू शहर के दर्शन होने लगे।
थोड़ा आगे बढ़ने पर सभी आश्चर्य से एक ओर देखने लगे, वो था मनोकामना मंदिर जाने के लिए बनाया गया, तकरीबन 3km लंबा रोप वे, जो धीरे धीरे बादलों के बीच से होता हुआ मनोकामना मंदिर की रोमांचक यात्रा 20 मिनट में पुरी करवा रहा था। चुकने का तो प्रश्न ही नही था, पर किराया700 रू हर व्यक्ति था। खैर टिकट लिया गया और पहले 5मिनट में ही वो वसुल हो गया जव रोप वे एकदम 90° की खड़ी चढाई पर था, और धीरे धीरे बादलों से पार होकर उपर जा रहा था, रोमांच के मारे सभी सन्न थे और शरीर के सारे बाल खड़े हो गये,
उपर नेपाली पैगोडा शैली का बना प्राचीन मंदिर था।