Wednesday, September 27, 2017

काठमांडू यात्रा भाग 6 kathmandu journey

नेपाल यात्रा भाग 6 अंतिम दिन



पोखरा के सभी दर्शनीय स्थानों को देखने के बाद, जब वापस होटल जाने की बारी आयी तो एकदम से एक सन्नाटा सा पसर गया। सभी एक दुसरे को देख बस मुस्कुरा रहे थे, शायद इस इस जगह को छोड़ जाने का सबको दुःख था, पर बता कोई नही रहा। अचानक एक मित्र ने फिर आने की बात की और माहौल जीवंत हो उठा। होटल आए तो संचालक ने खाने के विषय में पुछा सबने अपनी पसंद बतायी, और मैंने अपना सबसे पसंदीदा तिब्बती डिश "थुकपा"या "थुप्पा" का नाम लिया, और जवाब मिला- मिल जाएगी। सभी ने हिराकत से मुझे देखा पर बस अपने को ऑक्सर मिल गया जैसे।

डिनर मजेदार रहा, कोई लोकल वाईन भी पेश की गयी।
सुबह तड़के ही भारत के लिए निकलना था, ताकि शहर से तुरंत बिना जाम के निकल सके।
सुबह का माहौल ही अलग था, सभी घर के नाम से चहक रहे थे जो कल उदास भी थे। कुछ प्रीकुक्ड खाने का समान, मिनरल वाटर रखने के बाद महादेव के जयकारे से यात्रा प्रारंभ हुई और थोड़े समय बाद शहर से निकल कर वापस पहाड़ो के बीच आ गये थे।

दोपहर का भोजन बुटवल में किया गया, जहाँ मैं पहले भी आ चुका था।
वहाँ से वापसी के क्रम मे रास्ते में स्थित भगवान बुद्ध के जन्मस्थान कपिलवस्तु की लुम्बिनी नामक जगह देखा गया। जहाँ बुद्ध की माता माया देवी का मंदिर और भगवान बुद्ध के जन्म का ठीक स्थान के भी दर्शन हुए। पास ही अशोक द्वारा स्थापित रूम्मनदेई स्तंभ लेख भी था, जिस पर शाक्यमुनि का सही जन्मस्थान तथा अशोक के यहाँ आने की खुशी में प्रजा का कर 1/6 से घटा कर 1/8 कर दिया गया था। इसी के साथ मेरा "बुद्ध-सर्किट यात्रा" भी पुरी हो गई। जो लुम्बिनी-राजगृह-बौद्धगया-सारनाथ-श्रावस्ती-कुशीनगर से होकर गुजरती है।
फिर हमारी चल पड़ी भारत के सीमा की ओर -सोनौली। सोनौली सीमा का कागजात के जांच और नेपाली नंबर प्लेट की वापसी के बाद हम थे, भारतीय सरजमी गोरखपुर में। सीमा पार होते ही, मेरे मुॅह से निकले श्लोक को सभी ने सहमति दी।
#जननी_जन्मभुमिश्य_च्_स्वर्गादपिगरीशयसी।
गोरखपुर से सभी अपने गंतव्य को रवाना हुए, फिर साथ चलने के वादे के साथ।
!! इति शुभम् !!
आपके प्रेम और सम्मान का भी अभिनंदन।🙏😊










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