Wednesday, September 27, 2017

देश दर्शन यात्रा 2007 भाग 1 desh darshan journey

#एक_घुम्मकण_की_जन्मकथा #भाग_1




पुर्वी उत्तर प्रदेश के एक जनपद बलिया के सरस्वती विद्या मंदिर में अक्टूबर 2007 सुबह की प्रार्थना सभा में घोषणा होती है कि तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी का देशभर के बच्चों से मिलने के क्रम में अपने विद्यालय को भी स्थान मिला है, साथ ही विद्यालय एक देश-दर्शन यात्रा भी आयोजित करना चाहता है जिसमें कई राज्यों के दर्शनीय स्थलों की यात्रा 22-25 दिनों में पुरी होनी है। खैर एक सामान्य ज्ञान परीक्षा के माध्यम से चयन होता है और दसवीं के एक 15 वर्षीय छात्र यानी मेरा भी चयन हुआ। बोर्ड के परीक्षा और लंबे सफर को लेकर मेरे माता-पिता भी चिंतित थे पर आखिर मेरे अतुल्य जिद और जनुन के आगे हार मान कर उन्हे आज्ञा देनी ही पड़ी। यात्रा शुल्क 5000रू था और पाॅकेट मे अधिकतम 500रू रखने की इजाजत, हमें एक यात्रा लिस्ट के अनुसार पैकिंग करनी थी जो विद्यालय द्वारा दी गयी थी। यात्रा क्रम में हमारा ठिकाना होना था, देश भर में फैले हुए हमारे विद्यालय संस्था के शिशु/विद्या मंदिर। निर्धारित यात्रा का दिन आया और सभी ने विद्यालय परिसर से हमें बस द्वारा विदा किया, पुरी यात्रा दो स्लीपर बसों से ही पुरी होनी थी, तो सारा राशन और सामान लोड कर दिया गया था, हमारे साथ जा रहे थे हमारे प्रधानाचार्य,8 शिक्षक, चार कर्मचारी  और रसोइये।

हालाँकि इससे पहले मैं वैष्णो देवी और कुछ जगहों पर परिवार के साथ जा चुका था और इसके बाद भी दादा दादी के साथ अनेक तीर्थ स्थान पर गया पर अकेले झुण्ड के साथ यह पहला अनुभव था।
मेरे साथ था एक नोकिया 1600 फोन और codack का स्वचालित रील कैमरा।
यात्रा निम्न स्थानों से होती हुई पुर्णता को प्राप्त हुई।
#लखनऊ- रात भर बस चल कर सुबह हम अपनी राजधानी में थे, भुलभुल्लैया, रेजीडेंसी, लखनऊ का चिडियाघर, बेगम हजरत महल की हवेली और अमौसी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट देखने के बाद हमारी यात्रा रात को कानपुर के लिए रवाना हुई।
#कानपुर- कानपुर में हम कई औद्योगिक क्षेत्र से गुजरते हुए बिठुर गये जिसका 1857 के विद्रोह में नाना साहब और तात्या टोपे के योगदान के लिए महत्वपूर्ण स्थान है।पास ही स्थित झांसी की रानी का जन्मस्थान देखा और वाल्मीकि आश्रम भी गये। रात हमारी मंजिल थी आगरा की और जिसका सबको इंतजार था।
#आगरा- आगरा में हम सबसे पहले तुगलक काल के भवन देखते हुए ताजमहल की ओर गये यहाँ बैटरी वाहन या उॅट गाड़ी से जाना होता है। ताजमहल मे हमें विशेष प्रवेश मिला और हम ताजमहल की खुबसुरती देख जड़वत हो गये। यहाँ हमें ताजमहल की पुरी जानकारी दी गयी।
ताजमहल से निकल कर हम अकबर का बनाया हुआ लाल किला देखने गये।फिर सिकंदरा में अकबर का मकबरा देख वापस अपने पड़ाव विद्यालय आ गये।

#मथुरा_और_वृंदावन- यहाँ हमें तीन दिन रूकना था और  इसी बीच दिवाली भी थी। हमने श्रीकृष्ण जन्म भूमि से प्रारंभ कर बांके बिहारी मंदिर, गोविन्द देवजी मंदिर, श्री रंग नाथ जी मंदिर, पगला बाबा मंदिर, निधिवन, यमुना घाट पर स्नान और गोर्वधन देवजी मंदिर के दर्शन किए।

दो दिन बाद हमें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी से मिलना था इसलिए अब वक्त था कि कहा जाए कि- "दिल्ली चलो"।
बहुत ही कम फोटो शेष बचे है मेरे चार एलबमो मे से तीन वक्त के शिकार हो चुके है तो क्षमा।  क्रमशः ....
धन्यवाद।

No comments:

Post a Comment