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Sunday, November 18, 2018

नालंदा डायरी भाग ~ 10 nalanda-rajgir journey


                      नालंदा-राजगीर-बोधगया यात्रा  भाग - 10  अंतिम कड़ी 

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कितने ही दिनों से भटकते रहने से हमारा दल अब परेशान हो रहा था तो आज सुकून से देर सुबह तक सोया रहा। सुबह नास्ते के बाद हमने अपना सारा समान बांध लिया और बाइक की टंकी फूल कर ली गई। सुबह एक बार फिर हमने महाबोधी मंदिर में प्रार्थना की सुबह कुछ ज्यादा भीड़ भी नहीं थी, तकरीबन सभी पर्यटक अभी सो रहे होंगे। फिर हमने अपनी बाइक ग्रांड ट्रंक रोड़ की और दौडा दी,

नालंदा डायरी भाग ~9 nalanda-rajgir journey

                                          
                                                      नालंदा-राजगीर-बोधगया यात्रा  भाग - 9

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संग्रहालय से अभिभूत होकर निकलने के बात हमने एक तिब्बती दुकान पर थुक्का और मोमोज खाए और  द ग्रेट बुद्धा स्ट्च्यु और महाबोधी मंदिर के दर्शन के लिए निकल पड़े।

नालंदा डायरी भाग ~ 8 nalanda-rajgir journey

            
                                               नालंदा-राजगीर-बोधगया यात्रा भाग - 8

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आपने बोधगया के बारे में सबकुछ जान ही लिया है तो अब बारी है बोधगया में प्रमुखता से दर्शनीय स्थलों की सैर की। अब चुःकि हम गौतम बुद्ध के शहर में थे तो आपको सबकुछ बुद्ध के नाम पर मिलेंगे, हमने भी एक बुद्धा हाइट्स नाम के एक होटल को अपना ठिकाना बनाया और  सामान व्यवस्थित कर फ्रेश होकर थोड़ा आराम किया। हमारा होटल बोधगया के ठीक बीचों बीच था तथा सबकुछ आसपास ही था तो हमने पैदल घुमने की ही सोची और बाइक को पार्किंग में खड़ी कर दी।

Saturday, November 17, 2018

नालंदा डायरी भाग ~ 7 nalanda-rajgir journey

                                  
नालंदा-राजगीर-बोधगया यात्रा  भाग - 7 


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गया शहर की भीड़भाड़ से बचते बचाते अब हमारी बाइक खुली सड़कों पर दौड रही थी। बोधगया की चिरपरिचित शांति रास्ते से ही महसूस होने लगी थी। सूकून और प्रसन्नता के मारे मेरे हाथ एक्सिलेटर पर और कसते चले गये थे। मेरे अभी तक के जीवनकाल में पुरे भारत भर में देखे गये सभी स्थानों में मुझे सबसे प्रिय उत्तरकाशी और बोधगया ही है, जहाँ पहुँचते ही मैं किसी ओर ही दुनिया में पहुँच जाता हूँ।

Friday, November 16, 2018

नालंदा डायरी भाग ~ 6 nalanda-rajgir journey


                                                        नालंदा - राजगीर यात्रा भाग - 6

कल दिन भर की उठापटक और रातभर के धमाल के बावजूद सभी सुबह 7 बजे तक तैयार होकर ब्रैकफास्ट का इंतज़ार कर रहे थे। 8 बजे से पहले ही हम होटल नलंदा रीजेंसी से चेकआउट कर अपने रथों पर सवार मतलब की बाइकों पर जम चुके थे। लक्ष्य था तकरीबन 70km दूर गया-बोधगया की घुम्मकड़ी का..

नालंदा डायरी भाग ~ 5 nalanda-rajgir journey


                                                    नालंदा - राजगीर यात्रा भाग- 5

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पिछली कड़ी में हम रोप वे से गृद्धकूट और विश्व शांति स्तुप घूमने के बाद वापस नीचे आए.. धूप तेज खिली हुई थी और हमने अपनी बाइक यूँ ही पार्क कर दी थी और हेलमेट भी बाइक पर ही बस रख भर दिया था, वापस आए तो बाइक तवा और हेलमेट तंदूर बन चुका था पर दोनों ही पुर्णतया सुरक्षित थे। बाइक को छाया में खड़ी कर पास ही एक दुकान में कुछ नास्ते की तलाश में घुस गये हमारे मित्र मृगांक बाबू की भूख बर्दाश्त करने की क्षमता शून्य है फिर उन्हे अनिकेत बाबू का भी साथ मिल गया,

नालंदा डायरी भाग ~ 4 nalanda-rajgir journey

                         
                                                       नालंदा राजगीर यात्रा भाग - 4

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आखिरकार तमाम झंझटो के बीच थकान से चूर शरीर सभी मोहमाया को किनारे कर जब डनलप के गद्दे में 1 फीट तक धंस गया तो नींद तो आनी ही थी। सारे घोड़ो को खुल्ला छोड़ सोए तो सुबह 7 बजे ही नींद खुली। सुनहली सुबह हो रही और आसमान में बादलों का कोई अता पता भी नहीं था। जबकि कल हम पुरे दिन बादलों से लुका छिपी और पकड़म-पकड़ाई ही खेलते रहे थे। साथ के मित्रों को अभी बिभावरी की लोरी मदहोश किए थी, पर जब बात एक पुरा शहर देखने की हो तो समय की पाबंदी तो चाहिए ही करते ना करते एक घंटे में सभी तैयार हो चुके थे, और हमारा काम्पलिमेंट्री शानदार नास्ता भी आ चुका था। नास्ता निबटाने, जुस पी चुकने के बाद अब हम बाहर लांउज में पहुँचे कुछ निर्दश दिए-लिए गये। अब हमारी बाइक धुली धुलाई तैयार थी दुबारा कीचड़ से पुतने के लिए..

Saturday, August 11, 2018

नालंदा डायरी भाग ~ 3 nalanda-rajgir journey

               

                 नालंदा-राजगीर यात्रा- यात्रा पुर्नजन्म की, भाग - 3


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पुराने ईंट के खंडहरो, टूटी फूटी दीवारों और एक आम इंसान के लिए उल -जलूल चीजें दिखाने के लिए भरी बरसात में लंबी बाइक यात्रा करवाने और तमाम सारी जहालतो के बाद मैं अपने दोनों साथियों से ढेरों  उलाहनो, तानो और कुछ एक विशेषणो से सम्मानित होने के बावजूद मजे ले रहा था। फिर जैसे तैसे मन मार कर उत्खनन साइट से बाहर आए, तो ठीक सामने सड़क उसपार नालंदा संग्रहालय की ईमारत है। तो मुँह उठाए नाक की सीध में चलते चले गये, टिकट तो पहले से ही ले रखा था। एक लंबे रास्ते के बाद एक साधारण सी ईमारत के पास आ खड़े हुए इसके भीतर ही खुदाई से निकली चीजें सुरक्षित रखी हुई है।

Wednesday, August 8, 2018

नालंदा डायरी भाग~२ nalanda-rajgir journey


                                  
                                         नालंदा-राजगीर यात्रा ~  पुर्नजन्म की यात्रा,  भाग - 2


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आखिरकार मैं अपनी इच्छित जगह पर पहुँच चुका था, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था और मेरे दोनों मित्र मुझे अजीब सी नजरों से देख रहे थे। खैर यह एक छोटी सी जगह थी जहाँ एक तरफ ढाबेनुमा खाने पीने की दुकानें और दुसरी तरफ ढेर सारी यादगार जैसी वस्तुओं की दुकानें थी जहाँ बुद्ध की मुर्तियाँ घर की मुर्गी दाल बराबर हो रही थी।

Tuesday, August 7, 2018

नालंदा डायरी भाग ~ 1 nalanda-rajgir journey


                                        नालंदा-राजगीर  यात्रा ~ पुर्नजन्म की यात्रा, भाग - 1


विज्ञान वर्ग का विद्यार्थी होते हुए भी, इतिहास के प्रति बहुत ही लगाव और झुकाव हमेशा से रहा है, इसलिए मेरी घुम्मकड़ी भी ऐतिहासिक जगहों के आस पास ही मंडराती रहती है। मेरी हमेशा से दिलचस्पी रही है किताबों में वर्णित जगहों पर जाना उन्हे साक्षात देखना, महसूस करना, समझना और सीख लेना। यद्यपि की ढ़ेर सारे ऐतिहासिक स्थलों की सैर कर चुका हूँ, तथापि अपने से सबसे पास स्थित नालंदा विश्वविद्यालय के खडंहरो को देखने की हार्दिक इच्छा ना जाने कब से थी। शायद स्कूल के दिनों में इतिहास की किताबों में देखी गई नालंदा विश्वविद्यालय के खडंहरो की तस्वीरों बाद ही, अभी हाल ही में उसे UNESCO की वर्ल्ड धरोहर में शामिल किया गया था, उन्ही दिनों अभयानंद सिन्हा जी का राजगृह यात्रा वर्णन पढ़ने को मिला और उसने आग में घी का काम किया।