बिरयानीनामा ~ एक सिलसिला है स्वाद का
देखिए साहब.. भारत जो देश है यहाँ हजारों संस्कृतियाँ, हजारों तरह लोग, हजारों तरह के लोग-बाग और हजारों तरह के इलाकें और रहन-सहन के तौर तरीके मिलते है। सैकड़ों नदियों और भाषा-बोली से सींचती है यह धरती।
इन अनेक बहुरंगी विविधताओं से सजी इस धरती के कोने कोने को बांध कर रखती है हमारी भारतीय पहचान और हमारे लजीज खाने..
इन हजारों खानों में भी जो एक फेविकोल का काम करता है वह है, जिसके बिना हर शहर में शाम को सूरज डूबने से इंकार कर देता है। जो देग में पककर जब हर शाम अपनी महक हर शहर के किसी खास कोने में फैलाना शुरू करता है तो इस भारतीय खाने को एकता के सुत्र में बांधने वाले के आस पास लग जाता है भारत के कोने कोने से आए जाएके के शौकिनों का जमघट..
कभी घुम्मकड़ व्यापारियों के काफिले के साथ भटकता हुआ आया यह मेहमान आज भारत में इतना रच बस गया है कि इसके बिना भारतीय स्ट्रीट फूड की कल्पना भी बेमानी है।
जी हाँ हम बात कर रहे है हर दिल अजीज "बिरयानी" की..
अब वो चाहे महाराष्ट्र के बेरी मुसलमानों की बेयरी बिरयानी, या बंगाल की मुर्शिदाबाद में मछली से बनने वाला माही पुलाव, चाहे कलकता की बिरयानी जो बिना आलू चलती नहीं या अपने मसाले की गमक से दिमाग को सुन्न कर देने वाली लखनऊ की दम बिरयानी, चाहे वो लद्दाख के सूखे ठंडे रेगिस्तान मेबनने वाली सिल्क रोड़ से आया यारकंदी पुलाव हो या चेन्नई में मिलने वाला दक्षिण भारतीय स्वाद वाली बिरयानी.. या फिर मध्य भारत में हैदराबाद में मिलने वाली दिलकश कच्ची बिरयानी..
इस अकेली डिश ने अपने जितने दिवाने बनाए है और जैसे यह रंग रूप बदल कर शहर दर शहर को एक धागे बांधती है। तो सही मायने में यह भारत की राष्ट्रीय स्ट्रीट फूड बन जाती है।
दमपुख्त शैली से बनने वाली बिरयानी का गढ़ है लखनऊ और जिसके कुछ चुनिंदा खास जगहों पर इसकी जान बसती है वह है वाहिद बिरयानी, इदरिश रेस्ट्रां, लाला बिरयानी..आदी
आज की फोटो है चौपतिया चौराहा, चौक पर मिलने वाली लाला की बिरयानी.. नजर फरमाइए..😍
अनुराग 😎
देखिए साहब.. भारत जो देश है यहाँ हजारों संस्कृतियाँ, हजारों तरह लोग, हजारों तरह के लोग-बाग और हजारों तरह के इलाकें और रहन-सहन के तौर तरीके मिलते है। सैकड़ों नदियों और भाषा-बोली से सींचती है यह धरती।
इन अनेक बहुरंगी विविधताओं से सजी इस धरती के कोने कोने को बांध कर रखती है हमारी भारतीय पहचान और हमारे लजीज खाने..
इन हजारों खानों में भी जो एक फेविकोल का काम करता है वह है, जिसके बिना हर शहर में शाम को सूरज डूबने से इंकार कर देता है। जो देग में पककर जब हर शाम अपनी महक हर शहर के किसी खास कोने में फैलाना शुरू करता है तो इस भारतीय खाने को एकता के सुत्र में बांधने वाले के आस पास लग जाता है भारत के कोने कोने से आए जाएके के शौकिनों का जमघट..
कभी घुम्मकड़ व्यापारियों के काफिले के साथ भटकता हुआ आया यह मेहमान आज भारत में इतना रच बस गया है कि इसके बिना भारतीय स्ट्रीट फूड की कल्पना भी बेमानी है।
जी हाँ हम बात कर रहे है हर दिल अजीज "बिरयानी" की..
अब वो चाहे महाराष्ट्र के बेरी मुसलमानों की बेयरी बिरयानी, या बंगाल की मुर्शिदाबाद में मछली से बनने वाला माही पुलाव, चाहे कलकता की बिरयानी जो बिना आलू चलती नहीं या अपने मसाले की गमक से दिमाग को सुन्न कर देने वाली लखनऊ की दम बिरयानी, चाहे वो लद्दाख के सूखे ठंडे रेगिस्तान मेबनने वाली सिल्क रोड़ से आया यारकंदी पुलाव हो या चेन्नई में मिलने वाला दक्षिण भारतीय स्वाद वाली बिरयानी.. या फिर मध्य भारत में हैदराबाद में मिलने वाली दिलकश कच्ची बिरयानी..
इस अकेली डिश ने अपने जितने दिवाने बनाए है और जैसे यह रंग रूप बदल कर शहर दर शहर को एक धागे बांधती है। तो सही मायने में यह भारत की राष्ट्रीय स्ट्रीट फूड बन जाती है।
दमपुख्त शैली से बनने वाली बिरयानी का गढ़ है लखनऊ और जिसके कुछ चुनिंदा खास जगहों पर इसकी जान बसती है वह है वाहिद बिरयानी, इदरिश रेस्ट्रां, लाला बिरयानी..आदी
आज की फोटो है चौपतिया चौराहा, चौक पर मिलने वाली लाला की बिरयानी.. नजर फरमाइए..😍
अनुराग 😎
This is my favourite food....delicous and yummy.
ReplyDeleteIf you are planning to rome around Delhi then you must read this blog - Top 8 iconic attractions and best places in Delhi to hangout