Friday, February 1, 2019

एक बदनाम विरासत

एक बदनाम विरासत - भारत की..

भारत एक ऐसा देश है, जहाँ हजारों प्रकार के खाना-पीना लोगों के आम जन जीवन से जुड़े है। इस जुड़ाव की गहरी जड़े जुड़ी ही रहन सहन, प्राकृतिक परिवेश और मानव इतिहास से भी..
इसी श्रृखंला की एक कड़ी है विभिन्न प्रकार के पेय। गर्मियों में राहत देने वाले, सर्दियों में गर्माहट देने वाले और  दिन भर खेतों में काम से हुए थकान को दूर करने तथा पर्व-उत्सवों में आनंद के लिए पिए जाने वाले विभिन्न प्रकार के फर्मेंटेड पेय पदार्थ।

इतिहास के शुरूआती दिनों से ही इस प्रकार के पेय हर जगह और हर सभ्यता में प्रचलित है, शायद इनका आविष्कार भी चाय या काॅफी की तरह अचानक ही या गलती से ही हुआ होगा। हाँलाकि ये ड्रिंक्स मानवों के साथ शुरू से अब तक है, चाहे वो आर्यो के साथ आए सोम हो या अमेरिका की moonshine.

चलिए आइए बात करते है, भारत के इन्ही कुछ प्रसिद्ध fermented drinks की तथा इनकी छुपी दुनिया के बारे में..

सोम :- विश्व का सबसे प्रथम लिखित विवरण इसी पेय का मिलता है, यूँ तो इसे किसी लता से निकला बताया जाता है जो गंधमादन पर्वत की उपत्यका में मिलती थी, पर सभी इसी निष्कर्ष पर पहुँचे की यह cannabis या भांग ही थी, जिसे पीसकर शहद और दुध के साथ आर्य, मध्य एशिया और दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में पिया जाता था। आजकल भी विश्व के सबसे पुराने बसे शहर बनारस में इसका भरपुर प्रचलन है।

छांग :- यह एक हिमालयन ड्रिंक है, जिसे ज्वार और याक आदी के दूध से, mgolian cumis की तरह बनाया जाता है। घरों में बनी यह बियर पुरे हिमालयन रीजन में मिलती है, लेह से सिक्किम तक। जहाँ लेह में इसमें बाजरे-ज्वार का प्रयोग मिलता है वहीं इसे सिक्किम में चावल से बनाया जाता है। पर्व उत्सवों में यह बहुतायत से इस्तेमाल होती है।

महुआ अर्क :- यह प्राचीन मध्य भारत में बनने वाली एक ड्रिंक है, जिसका प्रचलन महाराष्ट्र से लेकर मध्यप्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक है। इसको महुआ पेड़ के फूलों को फर्मेंट करने से बनाया जाता है। मध्य भारत के आदिवासियों में इसका खूब चलन है और आसानी से हर जगह मिलती है, उनकी कोई पुजा त्योहार इसके बिना पुरे नहीं होते है।

सल्फी :- ताड़ कुल का एक वृक्ष जो छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और उड़िसा के जंगलों में बहुत संख्या में मिलता है जिसे caryota urens कहा जाता है, से ताड़ी की तरह का ज्यूस है जिसे फर्मेंट करने पर सल्फी रस बनता है। इसे 'बस्तर बीयर' के नाम से भी जाना जाता है। इसका यहाँ की अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान रहता है। बस्तर के तकरीबन हर आदीवासी के घर इसका पेड़ होता ही है। वह इसका प्रयोग बिमारियों में दवाई की तरह भी करते है।

खार :- यह अनोखी ड्रिंक असोम और आसपास के क्षेत्रों में मिलती है, इसे खाना खाने के बाद या खाने में बतौर औषधि पिया जाता है। इसे कले के तने और पत्तो को सुखा कर फिर जलाकर उसके राख को पानी से छानकर और फर्मेंट कर बनाया जाता है। कहीं-2 पपीते का भी प्रयोग देखने को मिलता है।

हंडिया :- मिट्टी की हांडी में बनने से इसको नाम मिला है, यह एक बहुत प्राचीन पेय है जो बिहार, झारखंड, उड़िसा और पश्चिम बंगाल में प्रसिद्ध है। इसे उबले चावल, 20-21 मसालों की टिकिया 'रानू टेबलेट' के साथ फर्मेंट और distille करने पर बनाया जाता है। इसे गरीब मजदूरों की शराब भी कहा जाता है। इसका भी खूब प्रचलन है।

काजू फेनी :- यह भारत की सबसे ज्यादा प्रसिद्ध ड्रिंक है, जिसकी ख्याति विदेशों तक है। इसे cashew apple के ज्यूस को फर्मेंट करने तथा distille करने से बनाया जाता है। कुछ हिस्सों में coconut feni भी बहुत प्रचलन में है। यह पश्चिमी घाट के इलाकों में मिलती है।

लुगदी :- यह चावल और बाजरा का गाढ़ा घोल होता है, जिसे फर्मेंट करने पर बनाया जाता है, यह मुख्यतः मनाली और धर्मशाला आदी हिमाचल की जगहों पर खूब मिलती है। इसका प्रयोग फिल्म 'ये जवानी है दिवानी' फिल्म में भी दिखाया गया है।

कच्ची/किन्नौरी घंटी/ 100 बट्टा 100  :- इसे जौ और अंगूर को फर्मेंट करने तथा उसमें गुड़ मिलाकर दुबारा फर्मेंट कर फिर भपका नाम के एक पतीले जैसे चीज से distille करने पर बनाया जाता है। कहीं-2 इनमें नाशपाती और हरे सेब भी डाले जाते है। यह वोदका की तरह की ड्रिंक है जो आपके दिमाग की घंटियाँ बजा देने के लिए काफी है। इसे किन्नौर की स्थानीय ड्रिंक माना जाता है पर उत्तराखंड में इसका व्यापक प्रचार प्रसार है। और शाम ढलते ही पहाड़ो पर इसको प्रयोग बहुतायत में दिखता है।

केसर कस्तुरी :- राजस्थान की राजपुती आन-बान-शान की यह राजसी ड्रिंक है। इस लोकल वाइन में 21 प्रकार के मंहगे मसाले, केसर, सूखे मेवे, केवड़ा जल और कुछ aphrodisiac herb मिलाये जाते है। मुख्यतः यह जाड़े के दिनों की ड्रिंक है पर गर्मियों में इसे सौंफ और ठंडक देने वाले मसालों के साथ बनाया जाता है। इसे अतिथि को सर्व करना सम्मान करना माना जाता है।

 ठर्रा या देशी :- गंगा-यमुना के तराई मैदानों की यह ड्रिंक बनाई जाती है, गन्ने के रस से निकाले गये राब को फर्मेंट और distilled करने पर। इसमें तैयार गुड़ भी मिलाया जाता है। यह पुरे उत्तर प्रदेश और आस पास के क्षेत्रों में प्रसिद्ध है और इसे गैरकानूनी रूप से भी बनाया जाता है।

तोडी/ताड़ी :- पुरे भारत भर में समान रूप से प्रचलित यह ड्रिंक ताड़ के पेड़ से रात भर टपके रस को इक्कठा करने और फर्मेंट करने से बनता है। इससे सिरका भी बनाया जाता है। ताजा ताड़ का रस औषधीय गुण रखता है, फर्मेंट करने पर यह नशे के तौर पर प्रयोग होता है।

ये तो बस कुछ ही प्रसिद्ध नामों की ही चर्चा है, ऐसे अनगिनत तरह की ड्रिंक, भारत के हर क्षेत्र में समाज के गहरे में जडें जमाए हुए है और हमारी एक अलग ही तरह की विरासत है। जिसे सभी उपेक्षा और हेय दृष्टि से ही देखते है। घुम्मकड़ो को लाजिमी है इन वह इन स्थानीय धरोहरों का स्वाद लेता चलें जब वह वहाँ जाए।

वैधानिक चेतावनी : इन ड्रिंक्स के अति सेवन से सेहत को नुकसान हो सकता है, कृपया अपने विवेक का इस्तेमाल करें और मुझसे भी पूछ लें एक बार को.. 😆

इति शुभम्
अनुराग चतुर्वेदी 😎
भपका यंत्र 

महुआ अर्क

सल्फी

लुग्दी

छांग

काजूफेनी

हंडिया

राइस बीयर 

100/100

आदीवासी डिस्टीलेशन प्लांट देशी ठर्रा

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