Sunday, December 2, 2018

अलकापुरी यात्रा, फूलों की घाटी अंतिम भाग

बरसातों में नंदनकानन की ओर... अंतिम भाग

(ऋषिकेश-हरिद्वार भ्रमण और घर वापसी) 29/08/2018

पिछले भाग में आपने देखा की जब हम नीलकंठ महादेव से वापस ऋषिकेश पहुँचे तो भयंकर बारिश से सामना हुआ था और हम सिर छुपाने के लिए ऋषिकेश के सबसे ऑइकानिक बिल्डिंग में घुस गये थे। जी हाँ, सभी के आकर्षण की केंद्र और ऋषिकेश की पहचान बन चुकी...

अलकापुरी यात्रा, फूलों की घाटी भाग ~ १०

बरसातों में  नंदनकानन की ओर... भाग ~१०

(हरिद्वार वापसी और नीलकंठ यात्रा) 27-28/08/2018

अगली सुबह मैं गलती से जल्दी ही उठ गया था, जिसका खामियाजा ये रहा की ज्योति जी ने अपने साथ ध्यान योग करने का फरमान सुना दिया वो भी नीचे अलकनंदा के तट पर सुबह-2 ठंड में..

अलकापुरी यात्रा फूलों की घाटी भाग ~ ९

बरसातों में नंदनकानन की ओर... भाग ~ ९

घांघरिया से वापसी)  26/08/2018
इस यात्रा कथा को आरंभ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करेें।

आज सुबह बड़ी उदास थी, आज हमें यहाँ से वापस जाना था। सुबह-2 अपना रैकसेक पैक करने के बाद तैयार हुआ, ज्योति जी भी तैयार होकर नीचा पहुँच चुके थे। हमने गुरूद्वारे में मत्था टेका, हल्का नास्ता और चाय के बाद हमने गुरूद्वारे के लिए अपने श्रद्धा अनुसार योगदान दिया। बदले में हमें कूपन मिला जिसे गोविंदघाट गुरूद्वारा के कांउटर पर जमा करने पर शायद कुछ प्रसाद जैसा कुछ उपहार मिलना था।

अलकापुरी यात्रा फूलों की घाटी भाग ~ ८

बरसातों में नंदनकानन की ओर... भाग ~ ८

(हेमकुंड साहिब दर्शन) -2  25/08/2018

हेमकुंड साहिब का संबंध आखिरी सिख गुरू गोविन्द सिंह जी के पुर्वजन्म से है, उनकी लिखी एक किताब दशम् ग्रंथ के एक अध्याय 'बिचित्र नाटक' में ज्रिक आता है की पुर्वजन्म में जब गुरू गोविन्द सिंह एक सात पहाड़ो से घिरे हेमकुंड पर्वत के नीचे स्थित एक सरोवर के पास तपस्या करते हुए जब ब्रह्मलीन हो गये थे तब ईश्वरीय शक्ति ने उन्हे वापस दुनिया में जाकर लोगों को सही राह दिखाने का आदेश दिया था।

Saturday, December 1, 2018

अलकापुरी यात्रा फूलों की घाटी भाग ~ ७

नंदनकानन की ओर... भाग ~ ७

(हेमकुंड साहिब दर्शन ) -1  25/08/2018

सुबह कुछ खास अच्छी नहीं दिख रही थी, हल्की बारिश लगातार हो रही थी। रात भर तो जोरदार बौछार पड़ी थी, कल हेमकुंड साहिब जाने वाले जत्थे भी नहीं आए थे, बस गिनती का लोग ही कल गुरूद्वारे में भी थे। शाम को गुरूद्वारे की चहल पहल भी कुछ कम ही थी। तीन दिनों की लगातार बारिश और उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी रेड एलर्ट का भी कुछ असर था शायद। तीन दिनों से हैली सेवा भी बंद ही रही थी।